कुछ छे साल से देखा नहीं है उसे ,पर कमबख्त उसकी याद अभी भी उतनी ही ताज़ा है,
कभी कभी तो लगत है की बस अभी पास से गुजरी है...और कभी लगता है की अभी उसकी खुशबू आई है
क्यूं कैसे कब के सवालो के फेर में नहीं पड़ना चाहता पर याद बहुत आती है,
उससे पहले कभी प्यार नहीं किया था , या फिर यह कहें की उससे पहले कभी वैसा महसूस नहीं किया था
और न उसके बाद तोह शायद प्यार ही होगा ,वो हमेशा खुश रहना सबसे हंस कर मिलना ,चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान का रहना , भीड़ में भी तनहा रहना ......वो पक्का प्यार था
और उसके ज़िंदगी से जाने के बाद फिर उतना अच्छा कोई लगा ही नहीं ,दोस्त कई बन गए पर वो प्यार फिर नहीं हुआ
और कोई ख़ास कोशिश भी नहीं करी क्योंकि ऐसा लगा ही नहीं की वो नहीं है ,जैसे मैंने पहले बोला वो अभी भी लगता है की आस पास है तोह किसी और की क्या ज़रूरत
न हैं यह पाना , न खोना ही है
तेरा न होना जाने, क्यों होना ही है .
सब कहते है पागल है तू और मैं कहता हूँ मैंने कब कहा नहीं हूँ सही तोह है पागल ही तोह हूँ ,जो ६ साल बाद भी उम्मीद है ,कायेदे से उसे ६ साल से देखना तोह दूर कोई रिश्ता ही नहीं है न तार न बेतार न मेल न जीमेल परहै तोह बस उम्मीद सही है पागल ही हूँ मैं