Thursday, March 27, 2008
तेरे बारे में जाब सोचा नहीं था
तेरे बारे में जब सोचा नहीं था,मैं तनहा था मगर इतना नहीं था
तेरी तस्वीर से करता था बातें,
मेरे कमरे में आईना नहीं था।
समंदर ने मुझे प्यासा ही रखा,
मैं जब सहेरा में था प्यासा नहीं था।
मनाने रूठने के खेल में हम,
बिछड़ जायेंगे ये सोचा नहीं था।
सुना है बंद कर ली आंखें उसने,
कई रातों से वो सोया नहीं था.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment